दौड़ीया खेड़ा में मीडिया |
गज़ब हो गया .... इससे पहले ""पीपली
लाइव" फिल्म में मीडिया की स्थिति को दिखाया गया तो कुछ दिनों तक फालतू खबरों
पर ध्यान देने लगे की खबरें सही - सही और योग्य परोसी जानी चाहिए, लेकिन आज फिर किसी साधू के कह देने मात्र से की
सोना निकलेगा ..... ''भेड़ों की झुंड'' की
तरह , बिन सोचे समझे दिखाने और परोसने शुरू कर दिए हैं ।
आख़िर क्या कारण है कि मीडिया इन अफवाहों से दूर और बच नहीं पा रही है ?
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